रवींद्र जडेजा ने एक बार फिर अपने प्रदर्शन से यह साबित कर दिया है कि वह भारतीय क्रिकेट के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ियों में से एक हैं। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) में भारत की हार के बाद, उनके करियर को 'गोल्डन हैंडशेक' के साथ खत्म करने की चर्चाएं थीं। लेकिन वर्तमान कोचिंग स्टाफ ने उन्हें एक और मौका दिया—और जडेजा ने उस मौके को पूरी तरह भुना लिया।
27 जुलाई 2025 को इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में खेले गए चौथे टेस्ट में उन्होंने एक संकटमोचक शतक जड़ा। इससे पहले भी वह लगातार चार अर्धशतक लगा चुके थे। उनकी यह फॉर्म दिखाती है कि वह पूरी तरह तैयार थे वापसी के लिए।
मैच से पहले अभ्यास सत्र के दौरान, जब उनसे उनके प्रदर्शन के रहस्य के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सिर की ओर इशारा करते हुए कहा, "सब कुछ दिमाग का खेल है।" उन्होंने यह भी जोड़ा, "नहीं... इंग्लैंड में गेंद छोड़ना सीख गया हूं।"
13 साल के करियर में कई बार जडेजा को नजरअंदाज किया गया, उन पर मीम बने, आलोचना हुई। लेकिन बिना किसी पीआर टीम या गॉडफादर के, उन्होंने मेहनत से अपनी जगह बनाई। इस शतक ने न सिर्फ भारत को टेस्ट में बचाया, बल्कि उन्हें वह सम्मान भी दिलाया जिसका वह हकदार हैं।